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विदेशी फूलों की खुशबू से महक रही है वजीरगंज की गली,मिनी कन्नौज बना वजीरगंज

मुश्ताक अहमद

नौशाद “ग्लाइडस” के फूलों से निकालते हैं वेश कीमती इत्र

गोंडा।गोण्डा जिले का वजीरगंज इत्र नगरी से कम नहीं।यहाँ के कुछ चुनिंदा किसानो ने “खुशबू” की ग्लाइडस खेती करके अपनी किस्मत तो संवारा ही साथ-साथ यह इलाका मिनी कन्नौज की ‘ फेन ‘ भी लादी है । यहां के नौशाद, विकास तिवारी, कमरुद्दीन, नाजिम, जमील, बुद्धू , असरफ, तैयब को ही ले लें । इन लोगों ने सुगंध के क्षेत्र में कदम रखा , तो फूल – मालाओं से लेकर इत्र की खुशबू तक का सफर तय करने में देर नहीं लगाई । अब आलम यह है कि इन किसानों की रहनुमाई करने वालों की सूची लंबी होती जा रही है। यही हाल रहा तो वजीरगंज क्षेत्र के किसानों में सब्जी के साथ उत्पादन के क्षेत्र में इत्र प्रेम जल्द ही जगह बना लेगा।

“क्या है ग्लाइडस “
यह एक विशेष प्रकार का विदेशी फूल है, जिसका उपयोग सेंटेंड फ्लेवर के रूप में किया जाता है। फूल – मालाओं से लेकर अगरबत्ती और इत्र निर्माण तक इसके सेंट से तैयार होते हैं। जो प्रति हेक्टेयर अच्छी फसल के रूप में उत्पादकों को कमसे कम 5 लाख रूपये तक का नफा दे सकते हैं।

“कैसे होता है इत्र निर्माण “
ग्लाइडस के पौधों का रोपण मध्य अगस्त से लेकर अक्टूबर मध्य तक किया जा सकता है। रोपण के 20- 25 दिनों के आस – पास इसमें फूल आने शुरु हो जाते हैं। फूलों के परिपक्व होने के बाद टहनियों सहित इन्हें तोड़ कर सुखाया जाता है, और विशेष प्रकार की मशीनों से तेल निकालकर अन्य केमिकल्स के साथ मिश्रण कर इत्र, अगरबत्ती सहित अन्य फ्लेवर्डस आइटमस के उत्पाद तैयार किए जाते हैं।

“सैकड़ो किसानों ने चुनी सुगंधित फूलों की खेती “
वजीरगंज विकास खण्ड के एक – दो, तीन नहीं सैकड़ो किसानों ने सुगंधित फूलों की खेती पर भाग्य आजमाई है। इन लोगों ने अपने कृषि योग्य क्षेत्र फल के खासे भू-भाग में फूलों की खेती करके सुंगध क्षेत्र को कमाई का साधन बनाया है। पूरे इलाके में इनकी संख्या का इजाफा होता जा रहा है।

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